Wednesday, September 19, 2018

研究:气候变化给全球带来沉重公共卫生代价

医学杂志《柳叶刀》发表的一份报告表明,中国亟需提升公共卫生在制定气候变化政策中的优先地位。

这份报告由来自世界银行、世界卫生组织和清华大学等26个机构的医生、学者和政策制定者共同撰写,是“柳叶刀倒计时:健康和气候变化追踪” 项目的成果之一。该项目旨在让人们更好地了解健康与气候变化行动的必要性。

研究发现,气候变化已经对全世界人口的健康产生了影响,如洪水、热浪、传染病的大面积扩散、营养不良率的升高、空气污染引发的疾病等。研究还强调了其更加广泛的经济影响,例如劳动生产率降低、人口迁徙和非自愿移民。

作者们认为中国已经制定出很多政策来应对气候变化,包括提升能效等改革工业和能源体系的措施。

逐步淘汰煤炭的各项政策也有效地减少了空气污染。比如,全国年度人口加权平均PM2.5浓度下降了21.5%,从2013年的每立方米60.5微克降低到2015年的每立方米47.5微克,同时期PM2.5引发的死亡减少了9.1%。但作者们也指出,决策者必须将健康与其他政策考量放在同样重要的地位,如温室气体减排、技术和经济成本以及社会心理承受力。这样可以让气候变化减缓和适应措施的健康效益最大化。

报告中援引了道路交通的例子。上海和广州20%以上的颗粒物空气污染来自尾气排放,北京的这一数字超过30%,深圳更是高达40%以上。因此,报告认为中国应该制订更多政策来控制城市地区的机动车数量。

报告还指出,中国还要进一步研究气候变化政策如何能够减少疾病。比如,1909年以来中国的平均地表温度升高了0.9摄氏度到1.5摄氏度,而这可能导致了蚊子分布范围的扩大。

有“明确且一致”的证据表明,1950年以来由两种蚊子转播的登革热、黄热病和寨卡等疾病在中国的传染率升高。作者们预测,2015年-2030年这两种蚊子的疾病传播率将进一步升高1.5%-1.7%。

报告认为,尽管中国已经建立了一个完善的突发卫生事件应急体系,但仍需对疾病的起因进行更深入的分析和理解,尤其是气候变化在其中发挥的作用。专家们指出,这样中国可以采取更多以预防为导向和更具成本效益的对策来解决突发卫生事件。

报告还强调了气候变化对全世界人类健康的许多其他影响。从2000年到2016年,受热浪影响的人数增加了约1.25亿人,其中2015年暴露人口达到创纪录的1.75亿人。

  年以来,温度上升造成农村劳动生产率平均下降5.3%。2016年,温度上升造成全球超过92万人失业,其中单是印度就有41.8万人。报告认为气候变化最大的健康影响是营养不良。全球温度每上升1摄氏度,便导致小麦产量减少6%,水稻产量减少10%。那些营养不良最严重的地区也是预计受气候变暖影响减产率相对较高的地区。

气候变化已经导致人们被迫迁移,是造成至少4400人背井离乡的唯一原因。到2050年,全球可能会有2500万到10亿人因海平面上升、海岸侵蚀、以及降水和温度的变化而迁移。报告认为,如此大规模的被动移民将有可能会给他们的精神和生理健康带来严重影响。这种影响既包括直接的影响,也包括因打乱基本的卫生和社会服务而带来的影响。

但作者也强调,尽管前景充满挑战,但我们有机会把一场正在迫近的卫生突发事件变成“本世纪公共卫生领域最大的进展”。

作者认为,有效地减缓气候变化将带来各种效益,包括减少空气污染引发的疾病、摄入营养更高的膳食、确保能源、粮食和水安全,以及减少贫困。

《联合国气候变化框架公约》( )前执行秘书克里斯蒂安娜·菲格雷斯如今担任“柳叶刀倒计时”高级顾问委员会主席,她说这份报告表明解决气候变化可以“直接、明确、立即”改善全球人类健康。

菲格雷斯说:“大多数国家在制定落实《巴黎协定》的气候规划时,并未把握上述机会。我们必须做得更好。医生叮嘱我们注意保健时,我们会听从建议;政府也应如此。”

Thursday, September 13, 2018

गर्भनिरोध के लिए महिलाएं क्यों कराती हैं नसबंदी

据国家媒体报道,不符合欧洲排放最低标准的机动车将在6月到9月间禁止在中国首都北京的马路上行驶。此做法旨在提高夏季奥运会期间的北京空气质量。
报道称,北京现约有330多万辆机动车,其中有30多万辆没有符合欧洲排放最低标准。这些车辆的档风玻璃上贴有黄色标签。

北京市环保局副局长杜少中说:" 大部分贴有黄色标签的车辆为货车,这些车辆将在7月1日到9月20日间禁止在北京马路上行驶。"他接着说:"限制高污染排放车辆是北京解决污染问题的首要任务。

报道说,北京去年完成了246个"蓝天日"的目标, 但空气污染仍是这个城市面临的主要问题。
《纽约时报》报道,美国佛罗里达州正进行历来最大的一次土地收购,以让大沼泽地国家公园的一遍土地回复原状。
全美最大的糖制造商美国制糖公司已同意出售其所有资产,并在未来6年结束业务。佛罗里达州州长查理‧克里斯特形容这宗交易"同全国第一个国家公园,即黄石国家公园的创建一样极具纪念性。"

该报告称,甘蔗种植地将变回为湿地和水道,这将有助净化受污染的水域,从而水流亦将会回复自然。

保育组织大沼泽地基金会的 说: "这真的是奇妙极了,我相信我们当中没有任何人可以预想大沼泽地到底会有多少变化。"
英国广播公司周三报道,援助机构乐施会已作出警告说,生物燃料并未能抗击气候变化,并导致了食品价格的上升。乐施会在一报告中说,转向种植能源作物已让30多万人陷入贫困。
该报告批评富裕国家利用补贴和税务减免来鼓励使用粮食作物来生产替代能源。

乐施会呼吁欧盟取消在2020年让10 %运输工具利用可再生资源的计划。他们认为此目标将改变土地的用途并使碳排放增加70倍。

报告的作者说,生物燃料"从粮食生产中窃取作物和土地,从而数百万的人的生计在这过程中被摧毁"。
据《南华早报》报道,中国的专家、社会活动家和环保组织日前发出公开信,呼吁对四川省和云南省境内正在筹建的水电工程进行风险评估。他们敦促政府在地质不稳定地区建设更多水坝之前,进行重新审查。
上述信件是在中国水利部宣布5月12日地震造成2380座水坝被摧毁或受到损害后发出的。

水污染专家、《中外对话》撰稿人马军称,发出这封信,是希望表达公众对上述地区水坝建设潜在风险的忧虑。他说:“我们感到必须表达我们的担忧,希望类似的悲剧性错误在未来可以避免。”

马军还指出,如果水坝溃决,所造成的损失将比地震本身的损失大得多。
路透社报道,日本首都东京将引入强制性的碳排放设限与交易制度,以减少大型办公室和工厂的温室气体排放。
报道指出,周三该市议会将通过的这一排放限制将针对东京最大的温室气体排放者。它们的碳排放量占东京总排量的20%。

日本环境大臣对该强制性措施表示欢迎,因为它正符合了首相福田康夫削提出的削减碳排放的计划。

环境大臣鸭下一郎说: "这是令人鼓舞的努力...我们希望对此表示欢迎的同时,能显出我们对这一做法的重视。"
据路透社报道,新加坡总理李显龙在一亚洲水资源问题研究所的成立会上指出,有限的水源将可能加剧未来世界各地的冲突。他把全球变暖和日益增加的城市看作是引发水资源危机的因素。
李显龙在资源政策学院成立会上说:“越来越多城市和国家视水供给为安全的隐忧,并为引发冲突的一潜在因素。"

报道说,李显龙把缺水的问题归咎于缺乏健全的水资源管理。他呼吁在这方面有更多的研究和革新。

在另一份声明中,亚洲开发银行警告说,由于管理资源不善,亚洲发展中国家在未来十年可能面临前所未有的水危机。

Monday, September 3, 2018

पत्ता-गोभी की सब्ज़ी यूं हो जाती है जानलेवा

आठ साल की बच्ची और दिमाग़ में 100 से ज्यादा कीड़े के अंडे.
माता-पिता के लिए समझ पाना बहुत मुश्किल था कि आख़िर क्यों उनकी बेटी लगभग हर रोज़ सिर दर्द की शिकायत करती है. क्यों उसे रहते-रहते दौरे आने लगते हैं.
लगभग 6 महीने से ऐसा चल रहा था, लेकिन जब इसकी वजह पता चली तो उन्हें यक़ीन नहीं हुआ.
"बच्ची के दिमाग़ में 100 से ज़्यादा टेपवर्म यानी फ़ीताकृमि के अंडे थे. जो दिमाग़ में छोटे-छोटे क्लॉट (थक्के) के रूप में नज़र आ रहे थे. "
गुड़गांव स्थित फ़ोर्टिस अस्पताल में न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. प्रवीण गुप्ता की देखरेख में बच्ची का इलाज चल रहा है.
डॉ. गुप्ता बताते हैं "हमारे पास आने से पहले वो इलाज करवा रही थी. उसे तेज़ सिर दर्द की शिकायत थी और दौरे पड़ते थे. वो दिमाग़ में सूजन और दौरे पड़ने का ही इलाज करवा रही थी."
बच्ची के दिमाग़ की सूजन कम करने के लिए लिए बच्ची को स्टेरॉएड्स दिया जाने लगा था. इसका असर ये हुआ कि आठ साल की बच्ची का वज़न 40 किलो से बढ़कर 60 किलो हो गया.
वज़न बढ़ा तो और तक़लीफ़ बढ़ गई. चलने-फिरने में दिक्क़त आने लगी और सांस लेने में तक़लीफ़ शुरू हो गई. वो पूरी तरह स्टेरॉएड्स पर निर्भर हो चुकी थी.
बच्ची जब डॉ गुप्ता के पास आई तो उसका सिटी-स्कैन किया गया. जिसके बाद उसे न्यूरोसिस्टिसेरसोसिस से पीड़ित पाया गया.
डॉक्टर गुप्ता बताते हैं "जिस समय बच्ची को अस्पताल लाया गया वो होश में नहीं थी. सिटी स्कैन में सफ़ेद धब्बे दिमाग़ में नज़र आए. ये धब्बे कुछ और नहीं बल्कि फ़ीताकृमि के अंडे थे. वो भी एक या दो नहीं बल्कि सौ से ज़्यादा की संख्या में."
जब बच्ची डॉ. गुप्ता के पास पहुंची तो उसके दिमाग पर प्रेशर बहुत अधिक बढ़ चुका था. अंडों का प्रेशर दिमाग़ पर इस कदर हो चुका था कि उसके दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया था.
डॉ गुप्ता बताते हैं, "सबसे पहले तो हमने दवाइयों से उसके दिमाग़ का प्रेशर (दिमाग़ में कोई भी बाहरी चीज़ आ जाए तो इससे दिमाग का अंदरूनी संतुलन बिगड़ जाता है) कम किया. उसके बाद उसे सिस्ट मारने की दवा दी गई. ये काफी ख़तरनाक भी होता है क्योंकि इस दौरान दिमाग़ का प्रेशर बढ़ भी सकता है."
फ़िलहाल अंडों को ख़त्म करने की पहली ख़ुराक बच्ची को दी गई है, लेकिन अभी सारे अंडे ख़त्म नहीं हुए हैं.
डॉ. गुप्ता बताते हैं दिमाग़ में ये अंडे लगातार बढ़ते रहते हैं. ये अंडे सूजन और दौरे का कारण बनते हैं.
डॉ. गुप्ता बताते हैं कि कोई भी चीज़ जो अधपकी रह जाए तो उसे खाने से, साफ़-सफ़ाई नहीं रखने से टेपवर्म पेट में पहुंच जाते हैं. इसके बाद ख़ून के प्रवाह के साथ ये शरीर के अलग-अलग हिस्सों में चले जाते हैं.
"भारत में मिर्गी के दौरे की एक जो बड़ी परेशानी है उसका एक प्रमुख कारण टेपवर्म है. भारत में टेपवर्म का संक्रमण बहुत ही सामान्य है. क़रीब 12 लाख लोग न्यूरोसिस्टिसेरसोसिस से पीड़ित हैं, जो मिर्गी के दौरों का एक प्रमुख कारण है."
टेपवर्म एक तरह का पैरासाइट है. ये अपने पोषण के लिए दूसरों पर आश्रित रहने वाला जीव है. इसलिए ये शरीर के अंदर पाया जाता है, ताकि उसे खाना मिल सके. इसमें रीढ़ की हड्डी नहीं होती है.
इसकी 5000 से ज़्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. ये एक मिमी से 15 मीटर तक लंबे हो सकते हैं. कई बार इसका सिर्फ़ एक ही आश्रय होता है तो कई बार एक से अधिक. इसका शरीर खंडों में बंटा होता है.
इसके शरीर में हुक के जैसी संरचनाएं होती हैं जिससे ये अपने आश्रयदाता के अंग से चिपका रहता है. शरीर पर मौजूद क्यूटिकिल की मदद से यह अपना भोजन लेता है. यह पचा-पचाया भोजन ही लेते हैं क्योंकि इनमें पाचन-तंत्र नहीं होता है.
टेपवर्म फ़्लैट, रिबन के जैसी संरचना वाले होते हैं. अगर फ़ीताकृमि का अंडा शरीर में प्रवेश कर जाता है तो यह आंत में अपना घर बना लेता है. हालांकि ज़रूरी नहीं कि ये पूरे जीवनकाल आंत में ही रहे, खून के साथ ये शरीर के दूसरे हिस्सों में भी पहुंच जाता है.
लीवर में पहुंचकर ये सिस्ट बना लेते हैं, जिससे पस हो जाता है. कई बार ये आंखों में भी आ जाते हैं और दिमाग़ में भी. अधपका या कच्चा पोर्क या बीफ़ खाने से, अधपकी या कच्ची मछली के सेवन से. दरअसल, इन जीवों में टेपवर्म का लार्वा होता है. ऐसे में अगर इन्हें अच्छी तरह पका कर नहीं खाया जाए तो टेपवर्म शरीर में पहुंच जाते हैं.
  • पत्ता-गोभी, पालक को अगर अच्छी तरह पकाकर नहीं बनाया जाए तो भी टेपवर्म शरीर में पहुंच सकता है.
  • इसलिए गंदे पानी में या मिट्टी के संपर्क में उगने वाली सब्जियों को धो कर खाने की सलाह दी जाती है. आमतौर पर इसका कोई बहुत सटीक लक्षण नज़र नहीं आता है, लेकिन टेपवर्म शरीर में हों तो शौच से पता चल जाता है. इसके अलावा पेट में दर्द, डायरिया, कमज़ोरी और उल्टी, अनियमित भूख और कमज़ोरी इसके प्रमुख लक्षण हैं.
    अगर शरीर में टेपवर्म की संख्या या अंडों की संख्या बहुत अधिक है तो चक्कर आना, त्वचा का पीलापन, खांसी, सांस फूलना, देखने में दिक्क़त जैसी शिकायतें भी हो सकती हैं.
    टेपवर्म एकबार शरीर में पहुंच जाए तो इससे दवा की मदद से ही छुटकारा पाया जा सकता है. लेकिन अगर कुछ सावधानियां बरती जाएं तो इसके संक्रमण से बचा जा सकता है.
  • किसी भी किस्म के मांस को बिना अच्छी तरह पकाए न खाएं.
  • फल-सब्जियों को खाने से पहले अच्छी तरह धो लें.
  • खाना खाने से पहले हाथ ज़रूर धोएं. शौच के बाद हाथों और नाखूनों को अच्छी तरह साफ़ करें.
  • हमेशा साफ़ पानी ही पिएं.
  • मवेशियों के सीधे संपर्क से बचें या उस दौरान विशेष सावधानी रखें.
डॉ. बंसल मानते हैं कि टेपवर्म जानलेवा नहीं है ये मानकर इसे लापरवाही में नहीं लेना चाहिए. ये शरीर के किसी ऐसे अंग में भी जा सकता है, जिससे शरीर का वो हिस्सा लकवाग्रस्त हो सकता है.
एशिया की तुलना में यूरोपीय देशों में इसका ख़तरा कम है. एनएचएस के अनुसार, अगर शरीर में टेपवर्म है तो ज़रूरी नहीं कि इसके कुछ लक्षण नज़र ही आए, लेकिन कई बार ये शरीर के कुछ अति-संवेदनशील अंगों में पहुंच जाता है, जिससे ख़तरा हो सकता है.
हालांकि इसका इलाज भी आसान है. दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल में गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. नरेश बंसल के अनुसार, भले ही टेपवर्म जानलेवा नहीं हैं, लेकिन इन्हें नज़रअंदाज़ करना ख़तरनाक हो सकता है.
डॉ. बंसल मानते हैं कि यूं तो टेपवर्म दुनिया भर में पाए जाते हैं और इनसे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं भी लेकिन भारत में इसके संक्रमण से जुड़े मामले ज़्यादा सामने आते हैं.