Friday, August 31, 2018

मेरी ड्रग्स की लत ने मेरी मां जैसी नानी को मार दिया: प्रतीक बब्बर

दिवंगत अभिनेत्री स्मिता पाटिल और जाने-माने अभिनेता एवं कांग्रेस नेता राज बब्बर के बेटे प्रतीक बब्बर 12 साल की उम्र में ही ड्रग्स के आदी हो गए थे.
इससे छुटकारा दिलाने के लिए उन्हें दो बार रिहैब सेंटर में भेजा गया था. आज वो इस आदत से पूरी तरह मुक्त हो गए हैं.
ड्रग्स के आदी होने की वजह वो अपने अंदर के गुस्से को बताते हैं. ये गुस्सा अपनी मां से न मिल पाने के दुख और पिता से बढ़ती दूरी के कारण था.
प्रतीक बब्बर ने 2008 में अपने करियर की शुरुआत फ़िल्म 'जाने तू या जाने न' से की थी. ये फ़िल्म आमिर ख़ान ने प्रोड्यूस की थी. इसके बाद वो आमिर ख़ान की एक और फिल्म 'धोबी घाट' में भी नज़र आए थे.
निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा की फिल्म 'आरक्षण' में भी वह अहम किरदार में दिखे थे. लेकिन उसके बाद वो लंबे समय तक फ़िल्मी दुनिया से ग़ायब रहे.
पिछले साल ही टाइगर श्रॉफ के साथ 'बाग़ी 2' में नज़र आए प्रतीक बब्बर अब निर्देशक अनुभव सिन्हा की फिल्म 'मुल्क' में नज़र आएं.
इस फ़िल्म के प्रोमोशन के दौरान बीबीसी से खास बातचीत में प्रतीक बब्बर ने कहा, "मैं मरने की कगार पर था. ड्रग्स अडिक्शन ने मुझे लगभग मार दिया था. मेरी नानी, जो मेरी मां जैसी थीं, की इसी चिंता में मौत हो गई कि में एक ड्रग अडिक्टेड हूं."
"उनकी मौत से मुझे गहरा सदमा लगा. मेरी नानी और नाना, दोनों ने मुझे बचपन से ही पाला था. आज मेरे दोस्त हैं, मेरे पिता हैं, मेरे भाई हैं लेकिन वो दोनों नहीं हैं. मैंने अपने आप से वादा किया है, उनके लिए मैं मरते दम तक कभी ड्रग्स को हाथ नहीं लगाऊंगा."
अभिनेता अक्सर अपनी ड्रग की आदतों को छुपाते हैं. उस पर खुलकर बात नहीं करते. प्रतीक कहते हैं, "ड्रग्स के साथ मेरे संघर्ष की कहानी 12 साल की उम्र से शुरू हुई थी."
"मेरे दिमाग़ में आवाज़ें कौंधती थीं कि मेरी मां कौन थी? होंगी वो बहुत कामयाब लेकिन मेरे साथ क्यों नहीं हैं, क्यों मैं अपने नाना-नानी के साथ रहता हूं? क्यों मेरे पिता मेरे साथ नहीं रहते? क्यों उनके पास मेरे लिए वक़्त नहीं है? पिताजी मिलने आते थे लेकिन मेरे साथ नहीं रहते थे. मेरे पिता मेरे हीरो हैं लेकिन वो एक अभिनेता होने के साथ-साथ नेता भी थे, जिसके चलते वो हमेशा व्यस्त रहते थे."
प्रतीक कहते हैं, "उनके पास मेरी बात सुनने का वक़्त नहीं था. पिता का मुझसे दूर रहना मेरे गुस्से का कारण भी था. सब लोग मुझे मेरी मां की क़ामयाबी के बारे में बताते थे लेकिन मुझे उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता था. मैं अक्सर अपने नाना-नानी से लड़ता था. उन पर गुस्सा करता था और कहता था मुझे इस बात से कोई लेना-देना नहीं कि वो कितनी कामयाब थीं, मुझे बस इस बात से फ़र्क पड़ता था कि वो मेरे साथ क्यों नहीं है. मैं बचपन में कई बार घर छोड़कर चला जाया करता था."
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए प्रतीक कहते हैं, "इन सबके चलते पहली बार 12 साल की उम्र से ड्रग्स लेना शुरू किया. 15 साल की उम्र में रिहैब सेंटर गया और एक साल बाद वापस लौटा. लेकिन ड्रग्स की लत इतनी थी कि वो फिर मैंने ड्रग्स लेना शुरू कर दिया."
प्रतीक बताते हैं कि वो बिना ड्रग्स के रह नहीं पाते थे. वो अपनी ज़िंदगी को अंधेरे में पाते थे, लेकिन आज वो बदल गए हैं और अब वो अपने काम के प्रति बहुत संजीदा हैं.
प्रतीक अपनी मां से जुड़ी यादों को साझा करते हैं, "सभी बताते हैं कि मां दिल की बहुत अच्छी थी. सबसे ख़ुश होकर मिला करती थी. कई लोगों के दिलों में उन्होंने अपनी जगह बनाई हुई है. मेरी भी कोशिश रहेगी उनकी तरह बनने की."
फ़िल्म 'मुल्क' में अभिनेता ऋषि कपूर और तापसी पन्नू के साथ प्रतीक बब्बर भी अहम किरदार निभाते नज़र आए. इस फ़िल्म में वो एक चरमपंथी के किरदार में दिखे.

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